Mother’s Day-2023: दुर्लभ बीमारी नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम से पीड़ित, प्रसव के दौरान 10 फीसदी से भी कम बचने की उम्मीद

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माँ तो माँ होती है। वह बच्चों की खातिर खुद को किसी भी खतरे में डालने से कभी पीछे नहीं हटती हैं। ऐसी ही एक मां हैं बुंडू की 29 वर्षीया सीमा शक्ति देवी। 4 मई को उसने रिम्स में एक बच्चे को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। लेकिन, यह डिलीवरी मामूली नहीं थी। वह नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम से पीड़ित थी। यह एक ऐसी बीमारी है, जो सिर्फ 10 हजार गर्भवती महिलाओं को ही होती है। इसमें डिलीवरी के दौरान मां और बच्चे के बचने की संभावना 10 फीसदी से भी कम होती है।

सीमा को गर्भावस्था के 28वें सप्ताह में इस बीमारी का पता चला था। उसके शरीर में प्रोटीन का रिसाव होने लगा और गुर्दे, फेफड़े और हृदय में फैलने लगा। डॉक्टरों ने उसे अबॉर्शन कराने की सलाह दी थी। लेकिन सीमा किसी भी कीमत पर अपने बच्चे को मारने को तैयार नहीं थी। वह अपनी जान की परवाह न करते हुए बच्चे को दुनिया में लाने पर अड़ी थी। उसकी हिम्मत देखकर डॉक्टरों ने भी हिम्मत जुटाई और जटिल प्रसव को अंजाम दिया।

सीमा बोलीं- सोचा था जान भी चली जाएगी तो बच्चे को जन्म दूंगी

सीमा ने भास्कर से कहा- पिछले ढाई साल में तीन बार मेरी कोख नष्ट हो चुकी थी। तीन बच्चों ने गर्भ में ही दम तोड़ दिया था। ऐसा क्यों हो रहा था इसका पता नहीं चल पाया था। चौथी बार गर्भवती होने पर डॉक्टर से मिले। 28वें हफ्ते में इस बीमारी का पता चला। डॉक्टर भी परेशान थे। वह गर्भपात कराने की सलाह दे रही थी। लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मैं इस बच्चे को जन्म दूंगी, भले ही इसके लिए मुझे अपनी जान गंवानी पड़े। और भगवान ने मेरी सुन ली। मैंने 32 सप्ताह में एक बच्चे को जन्म दिया है। आज हम दोनों स्वस्थ हैं।

डॉक्टर बोले- 25 साल के करियर में पहली बार ऐसी बीमारी देखी

रिम्स की स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मीना मेहता ने कहा- मैंने अपने 25 साल के मेडिकल करियर में पहली बार किसी गर्भवती महिला में इस तरह की बीमारी देखी है। सीमा को बार-बार गर्भपात कराने की सलाह दी जा रही थी। लेकिन वह मेरे बच्चे को बचाने के लिए दृढ़ थी, भले ही इससे मेरी जान चली जाए। उसकी जिद्द के आगे सब हार गए। डिलीवरी के दौरान उसका ब्लड फ्लो काफी कम हो गया था। गुर्दे की विफलता की संभावना 90% तक थी। डर था कि कहीं गर्भ में ही बच्चे की मौत न हो जाए। लेकिन वह सुरक्षित प्रसव कराने में सफल रही।

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