अधूरी रह गई जगरनाथ महतो की ये ख्वाहिश: जब शिक्षा मंत्री ने कहा था किसी को मेरी आंखों से रोशनी देने से अच्छा और क्या हो सकता है

जगरनाथ महतो
किसी ने मेरा फेफड़ा दान किया है, इसलिए मैं आपके सामने खड़ा हूं। अगर फेफड़े का दान नहीं होता तो मैं आपके सामने नहीं होता। मैं चाहता हूं कि आप भी अंगदान के लिए आगे आएं, मैंने भी नेत्रदान के लिए फॉर्म भरा है, इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता अगर किसी को मेरी आंख की रोशनी मिल जाए।
जगरनाथ महतो की इच्छा अधूरी रह गई
वर्ष 2022 में उन्होंने रन फॉर विजन कार्यक्रम में बतौर अतिथि शिरकत की थी. उक्त बातें उन्होंने मंच से कही। जगरनाथ महतो की यह इच्छा पूरी न हो सकी कि कोई उनकी आंखों से दुनिया देखे। डॉक्टर भारती कश्यप ने कहा, हम चाहते थे कि उनका सपना पूरा हो लेकिन चेन्नई में उनका निधन हो गया। मौत की सूचना भी समय पर नहीं मिली। साथ ही अंगदान के लिए परिवार की रजामंदी भी जरूरी है, हालांकि उन्होंने जरूरी प्रक्रियाएं भी पूरी कर ली थीं।

रन फॉर विजन कार्यक्रम में भाग लेते जगरनाथ महतो
जगरनाथ महतो अपनी आंखों से किसी और को रोशनी देना चाहते थे
डॉ. भारती कश्यप ने कहा, जगरनाथ महतो नेत्रदान या अंगदान के महत्व को अच्छी तरह समझते थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि आज अगर वे यहां खड़े हैं तो किसी और की वजह से हैं. झारखंड में नेत्रदान और अंगदान को लेकर लोगों को और जागरूक होने की जरूरत है।
झारखंड में अंगदान को लेकर लोग जागरूक नहीं हैं
साल 2022 के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन साल में झारखंड में अंगदान के सिर्फ 64 मामले दर्ज किए गए. 2019 से 2021 की अवधि में यह संख्या बढ़ने के बजाय घट गई। जबकि 2019 में 61 मामले दर्ज किए गए थे, 2020 में केवल 1 और 2021 में (नवंबर तक) 2 मामले दर्ज किए गए थे। आंकड़े बता रहे हैं कि अंगदान को लेकर प्रदेश में क्या स्थिति है। झारखंड अंगदान में काफी पीछे है। इसके लिए जागरूकता की भारी कमी है।
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