बासुकीनाथधाम में पवित्र शिवगंगा की सफाई के दौरान प्रकट हुए पाताल महादेव, 681 साल पुराना है इतिहास, पढ़ें पूरी खबर
विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर स्थित ऐतिहासिक, पौराणिक शिवगंगा तट के मध्य में विराजमान पाताल महादेव के दर्शन के बाद पूजन व जलाभिषेक प्रारंभ हुआ। लंबे समय के बाद बासुकीनाथ की शिवगंगा के जल निकासी और व्यापक सफाई के बाद शिवगंगा कुंड के मध्य में विराजमान पाताल महादेव के दर्शन और पूजा को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्सुकता रही।
शिवगंगा की सफाई में श्रद्धालुओं ने किया श्रमदान। पाताल महादेव के दर्शन के साथ ही पाताल महादेव के दर्शन कब होंगे इस बात की चर्चा भी समाप्त हो गई। स्थानीय पंडा-पुजारियों व श्रद्धालुओं की माने तो पाताल कुंड के दर्शन के साथ ही बुधवार से ही जलाभिषेक व श्रृंगार पूजन का तांता लग गया है.
पाताल महादेव का इतिहास
शिवगंगई अपने गर्भ में कई पौराणिक और ऐतिहासिक वस्तुएं रखती है। इन्हीं में से एक है शिवगंगा के मध्य स्थित कुंड में विराजमान पाताल शिवलिंग। शिवलिंग की महिमा निराली है। मान्यता है कि इसके दर्शन और पूजा करने से सभी जन्मों के पाप धुल जाते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
मंदिर का निर्माण 1342 ई. में हुआ था, जबकि इस पाताल शिवलिंग के प्रधान पुजारी अनिल पंडा, सदाशिव पंडा, मनोज पंडा व अन्य लोग इसकी महिमा को विस्तार से बताते हुए कहते हैं कि प्रतिदिन शाम के समय पाताल शिवलिंग के दर्शन करने पर यह दर्शन होते हैं। श्रृंगार पूजन भी भक्तों द्वारा विधि-विधान के अनुसार किया जाता है। कुंड में एक शिलालेख भी मिला है, जिसमें शिवगंगा की स्थापना की तिथि 1342 ई. बताई गई है।