बरियातू रोड पर सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की खरीद-फरोख्त में फर्जीवाड़ा उजागर हो रहा है। मामले की जांच कर रही ईडी आरोपी से पूछताछ कर रही है। इससे एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
पता चला है कि यह फर्जीवाड़ा साल 2020 में शुरू हुआ था। जब झारखंड समेत पूरा देश कोरोना से लड़ रहा था। उस दौरान जमीन के दलाल व रिम्स कर्मचारी अफसर अली उर्फ अफसू खान ने जमीन की जानकारी निकाली. इसके बाद उन्होंने माफिया व अंचल अधिकारियों के साथ बैठक कर जमीन के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा की योजना तैयार की.
चूंकि उस समय कार्यालय में कोविड के कारण लोगों की आवाजाही कम थी, इसलिए उन्होंने इसका फायदा उठाया और कोलकाता जाकर जमीन के कागजातों में फर्जीवाड़ा किया. इसके बाद 2021 में प्रदीप बागची को फर्जी काश्तकार बनाकर जगत बंधु टी एस्टेट को यह जमीन बेच दी। इस मामले में ईडी ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें पूछताछ के बाद जेल भेज दिया गया है. रांची की पूर्व डीसी छवि रंजन भी ईडी की रिमांड पर हैं। उसकी रिमांड बढ़ सकती है।
पूछताछ में असली रैयत जयंत कर्नाड बोले- जमीन मेरी है, फौजी काश्तकार है, इसलिए जमीन बेच दी
सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त के मामले में ईडी ने जमीन के मूल किराएदार जयंत कर्नाड से बुधवार को पूछताछ की थी। उन्होंने जमीन के मूल दस्तावेजों के साथ कोर्ट के आदेश की कॉपी भी जांच एजेंसी को सौंपी। बताया कि वह इस जमीन को खाली कराने के लिए कोर्ट भी गए थे, जिसमें सेना की हार हुई थी। ईडी ने पूछा- बिना कब्जे के उस जमीन को आपने क्यों खरीदा-बेचा? इस पर कर्नाड ने कहा- जमीन मेरी है। सेना इसकी किराएदार है, इसलिए जमीन बेच दी। कर्नाड ने यह जमीन साल 2019 में 13 लोगों को बेची थी। अब ईडी उनके बयान लेगा।
नहीं पहुंचे जगतबंधु टी एस्टेट के निदेशक दिलीप घोष : ईडी ने बुधवार को प्रदीप बागची से जमीन खरीदने वाले जगतबंधु टी एस्टेट के मालिक दिलीप घोष को भी पूछताछ के लिए तलब किया था। लेकिन वे नहीं पहुंचे। अब ईडी उन्हें फिर से तलब करेगी।