महाशिवरात्रि के बाद आज से सामान्य हुई बाबा मंदिर की पूजा: सामान्य पंक्ति के 2,36,900 और प्रारंभिक दर्शनम के 9,349 लोग, चतुष्प्रहार पूजा के साथ शिव का गौरा से हुआ विवाह

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देवघर4 घंटे पहले

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चतुष्प्रहार पूजा के साथ संपन्न हुआ विवाह

चतुष्प्रहार पूजा के साथ संपन्न हुआ विवाह

महाशिवरात्रि के मौके पर देवघर बाबा मंदिर में रात नौ बजे तक कपाट बंद होने तक कुल 2,46,249 श्रद्धालुओं ने जल चढ़ाया. जिसमें 2,36,900 लोगों ने आम लाइन से बाबा भोले को जल चढ़ाया। दूसरी ओर, 9,349 लोगों ने श्द्यदर्शनम के माध्यम से बाबा की पूजा की। रात 9 बजे बाबा मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। इसके बाद विधिवत चतुष्प्रहार पूजा शुरू हुई। चार घंटे के पूजन के बाद आज से बाबा मंदिर में सामान्य पूजा शुरू हो गई है।
मशाल लेकर बाबा प्रांगण से शोभायात्रा निकली
देर रात नौ बजे बाबा के चार पहर के पूजन से पूर्व विधिवत शोभायात्रा निकली। यह जुलूस मशाल लेकर निकाला गया। सरदार पंडा श्री श्री गुलाबानंद ओझा ने चार पहर की पूजा षोडशोपचार से पूरे विधि-विधान से की। परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन बाबा नगरी में शिव जी का विवाह नहीं होता है बल्कि इसे चतुष्प्रहार पूजा कहा जाता है। इसमें मशाल लेकर पारंपरिक जुलूस निकलता है।

चार पहर की पूजा के दौरान दूध का अभिषेक

चार पहर की पूजा के दौरान दूध का अभिषेक

चार पहर की पूजा में बाबा का सिंदूर दान किया गया
बाबा मंदिर के प्रमुख पंडा श्री श्री गुलाबचंद ओझा ने चार प्रहर का पूजन किया। इसमें आचार्य गुलाब पंडित, मरहम लगाने वाले भक्तिनाथ फल्हारी मौजूद रहे। चार घंटे तक पूजा-अर्चना के बाद बाबा का दूल्हे की तरह श्रृंगार किया गया। माल्यार्पण किया गया। सरदार पंडा की ओर से बाबा की प्रतिमा को साडिय़ां और श्रृंगार का सामान भेंट किया गया। इसके बाद बाबा को बेलपत्र से सिंदूर का भोग लगाया। इस रस्म को चार बार दोहराकर शिव विवाह की प्रक्रिया पूरी की गई। ऐसा साल में एक बार ही होता है जब बाबा को सिंदूर चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन बाबा के साथ माता पार्वती भी मौजूद रहती हैं। महाशिवरात्रि की पूजा के नौवें दिन चोटी पर बंधे मोर और गठबंधन खोल दिया जाएगा।

शिव विवाह के मौके पर मंदिर परिसर में मौजूद लोग

शिव विवाह के मौके पर मंदिर परिसर में मौजूद लोग

शादी के लिए रोहिणी एस्टेट से लाई गई सामग्री
रोजाना पूजा के दौरान सेंट्रल जेल से बना मोर बाबा को चढ़ाया जाता है। लेकिन शिवरात्रि के दिन ऐसा नहीं होता है। इस दिन रोहिणी एस्टेट का घाटवाल परिवार वैवाहिक सामग्री के साथ बाबा मंदिर मौड़ भेजता है। शनिवार को भी ऐसा ही हुआ। रोहिणी एस्टेट से मोर, पटवासी, धोती, साड़ी, गमछा, पान, जनेऊ, फुल्हेरा, अरवा चावल और दक्षिणा आदि भेजे गए।

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