देश का सबसे बड़ा फोरलेन एलिवेटेड कॉरिडोर: निर्माण के लिए NHAI ने वन विभाग से मांगी वन मंजूरी, दो साल में पूरा होगा काम
एनएचएआई ने एनएच-33 पर बनने वाले डबल डेकर निर्माण के लिए वन विभाग से फॉरेस्ट क्लीयरेंस मांगा है। एनएच 33 पर पारडीह काली मंदिर से बालीगुमा के देवघर तक एलिवेटेड डबल डेकर कॉरिडोर का निर्माण होना है. इसके लिए एनएचएआई ने इससे संबंधित सभी दस्तावेज और प्रस्तावित ड्राइंग वन विभाग को सौंप दी है. यह आवेदन दलमा के डीएफओ अभिषेक कुमार को दिया गया है, ताकि डबल डेकर का निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जा सके. कॉरिडोर का निर्माण करीब 1,876 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना है।
इसका निर्माण शहर में ट्रैफिक का बोझ कम करने के लिए किया जा रहा है। एनएचएआई के आवेदन में 31 बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है. इसमें पूछा गया है कि एलिवेटेड कॉरिडोर का डिजाइन कैसा है, निर्माण के दौरान कितना ट्रैफिक बाधित होगा, प्रोजेक्ट के दौरान कितने पेड़ काटे जाएंगे आदि। निर्माण कार्य में पत्थर और मिट्टी का उपयोग कहां और कैसे किया जाएगा, निर्माण के दौरान बिजली के तार और यूटिलिटी शिफ्टिंग कैसे की जाएगी, इसकी जानकारी मांगी गई है।
कॉरिडोर 10.4 किलोमीटर लंबा होगा
पारडीह काली मंदिर से बालीगुमा तक 10.4 किलोमीटर लंबा डबल डेकर कॉरिडोर बनाया जाना है। यह देश का सबसे बड़ा डबल डेकर कॉरिडोर होगा। इसका निर्माण एनएच 33 पर होना है. यह फोर लेन होगा, सर्विस लेन भी होगी. डबल डेकर एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण दो साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
डबल डेकर कॉरिडोर पर एक नजर
- कहां बनेगा: राष्ट्रीय राजमार्ग 33 पर
- कहां से कहां बनेगा: पारडीह काली मंदिर से बालीगुमा के देवघर तक
- लंबाई होगी: 10.4 किलोमीटर
- लागत होगी: 1876 करोड़ रुपये
- पूर्ण किये जाने वाले कार्य: 2 साल में
23 मार्च को गडकरी ने इसका शिलान्यास किया था
इसकी आधारशिला 23 मार्च को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रखी थी. शिलान्यास के बाद एनएचएआई को इसका काम दो साल में पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है. मंजूरी मिलने के बाद ही इस पर काम शुरू हो सकेगा।
यह नियमित प्रक्रिया है. वन भूमि से गुजरने वाली सड़क का निर्माण शुरू करने से पहले वन मंजूरी अनिवार्य है। जिसकी रिपोर्ट विभाग को भेज दी गयी है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है. – एसके मिश्रा, परियोजना निदेशक, एनएचएआई
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