अब लोग न केवल दूध के लिए बल्कि गाय के गोबर के लिए भी गाय-भैंस पालेंगे। गाय के गोबर से कई उपयोगी चीजें बनाई जा रही हैं। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) की पहल पर प्रदेश में पहली बार गाय के गोबर से चिप्स, अगरबत्ती और दीपक बनाए जा रहे हैं। चाकुलिया गौशाला में ये पहले से बन रहे हैं। अभी रांची स्थित सुकुरहुट्टू गौशाला में चिप बनाने का काम शुरू हुआ है। गौशाला प्रबंधन के मुताबिक इसी महीने इसे आम लोगों के लिए बाजार में उतार दिया जाएगा। यह एक एनर्जी मास्किंग चिप है।
गौशाला के कृषि सलाहकार व निर्मल कृष्ण चंद्र ने बताया कि यह बहुत ही कारगर चिप है. मोबाइल में चिप लगाने से हम मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन के दुष्प्रभाव से काफी हद तक बच सकते हैं। बीएयू के बिजनेस प्लानिंग एंड डेवलपमेंट के सीईओ सिद्धार्थ जायसवाल ने कहा कि मोबाइल फोन और अन्य बिजली के उपकरणों से निकलने वाले हानिकारक रेडिएशन (विकिरण) से यूजर को बचाता है और जब हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं तो इनसे निकलने वाली हानिकारक किरणों को कम करता है। जिससे इन चीजों के इस्तेमाल से हमारे शरीर को जो नुकसान हो रहा है वह काफी हद तक कम हो जाता है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है, इस आविष्कार का पेटेंट गुजरात के मनोज भाई सोलंकी को भी दिया जा चुका है।
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चिप कैसे बनती है
आटे, लकड़ी, बेंटोनाइट पाउडर और पानी में गाय के गोबर को मिलाकर चिप्स तैयार किए जाते हैं। बैलिस्टिक गैल्वेनोमीटर का उपयोग करके विकिरण और ऊर्जा मास्किंग चिप का परीक्षण किया जाता है। चिप चौकोर है। इसकी चौड़ाई एक सेंटीमीटर है। इसे विभिन्न आकृतियों और आकारों में भी बनाया जा सकता है।
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जानिए… क्या होगा समाज को फायदा
1. ऐसी गाय, बैल या भैंस की भी मांग बढ़ेगी जो दूध नहीं देती हैं। 2. गाय के गोबर से चीजें बनेंगी तो समाज में लोगों को रोजगार भी मिलेगा। 3. आम लोगों को सस्ती चीजें मिलेंगी और यह सेहत के लिए फायदेमंद होगा। 4. बीएयू की योजना पूरे प्रदेश में लोगों को गोबर के प्रति जागरूक करने की है.
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दुमका के 11 गांवों में लोगों को चिप्स, दीया और अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण मिल रहा है
सिद्धार्थ जायसवाल ने बताया कि अब विशेषज्ञ गौशालाओं में इन चीजों को बनाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. चिप बाजार में आ गई है। गोबर के दीये और अगरबत्ती समेत अन्य सामान भी जल्द ही आ जाएगा। चिप की कीमत 20 रुपये और दीपक की कीमत 3 से 5 रुपये होगी। दुमका में भी बीएयू द्वारा सरायहाट के 11 गांवों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
एक चिप की कीमत 20 रुपये है
एक ट्रैक्टर में करीब 4000 किलो गाय का गोबर होता है, जो 2000 से 2500 रुपए में बिकता है। वहीं, एक किलो गोबर से 200 टुकड़े चिप्स बनाए जा रहे हैं और एक चिप की कीमत 20 रुपये है.