86 बस्तियां: पांच साल में सिर्फ तीन को मिला पट्टा, क्योंकि एक जनवरी 1985 से पहले के कागजात लाना मुश्किल

टाटा लीज क्षेत्र के बाहर बिरसानगर के 1787 एकड़ भूखंड पर 86 अतिक्रमण कर रह रहे करीब डेढ़ से दो लाख लोग लीज बंदोबस्ती के आदेश के बाद भी जमीन को वैध नहीं कर रहे हैं. लोग पट्टे पर जमीन लेने में रुचि नहीं रखते, फिर भी मालिकाना हक चाहते हैं। सरकार का लीज रेंट भी बाजार मूल्य से काफी कम है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि ज्यादातर लोगों के पास 1 जनवरी 1985 से पहले के दस्तावेज नहीं हैं। यही कारण है कि पांच साल में सिर्फ तीन लोगों ने ही जमीन लीज पर ली है, जबकि 13 लोगों के आवेदन लंबित हैं। 118 लोगों के आवेदन अस्वीकृत कर दिये गये हैं.

मालूम हो कि 2018 में तत्कालीन सीएम रघुवर दास के कार्यकाल में भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने 86 बस्तियों में रहने वाले लोगों की जमीन को वैध करने के लिए 1 जनवरी 1985 को आधार मानकर 1 डिसमिल से 10 डिसमिल जमीन को 30 साल के लिए लीज पर देने का कानून लागू किया था. सरकार के पास मौजूद रिकॉर्ड के मुताबिक, इन 86 बस्तियों में 17 हजार घर बने थे, जो बढ़कर 22 हजार से ज्यादा हो गए हैं. लोगों ने एक एकड़ से लेकर पांच एकड़ जमीन तक अतिक्रमण कर बड़े-बड़े मकान व भवन बना लिये हैं. कई लोगों ने दूसरों की जमीन तक बेच दी है. जमीन खरीदने वाले के पास अतिक्रमण का कोई दस्तावेज नहीं है. सरकार एक डिसमिल से लेकर 10 डिसमिल जमीन 30 साल के लिए लीज पर दे रही है. इसके लिए लोगों को 50 हजार से 10 लाख तक चुकाने होंगे.

अब तक यही हुआ

  • बिरसानगर समेत पूरी 86 बस्तियों में 22 हजार से ज्यादा घर हैं. इसमें 14 हजार से अधिक लोगों के पास कोई दस्तावेज नहीं है.
  • 1990 के बाद 86 बस्तियों के लोगों ने मकानों और जमीन पर कब्जा कर लिया।
  • 2005 में सरकार ने बिरसानगर की 1787 एकड़ जमीन टाटा लीज से अलग कर दी.
  • लीज से बाहर होने के बाद लोगों को मालिकाना हक मिलने की संभावना नजर आई।
  • 2019 विधानसभा चुनाव से पहले 2018 में झारखंड सरकार ने 86 बस्तियों के निवासियों को 30 साल के लिए लीज बंदोबस्ती पर जमीन देने का आदेश जारी किया था.
  • 28 मार्च 2018 को तत्कालीन सीएम रघुवर दास ने बिरसानगर के गुड़िया मैदान में लीज बंदोबस्ती शिविर का उद्घाटन किया था.

13 हजार आवेदन जमा करने पर दस्तावेज नहीं

जमशेदपुर अंचल सीओ अमित कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 86 बस्तियों में रहने वाले सिर्फ तीन लोगों को सरकार के नियमों के तहत 30 साल के लिए लीज पर जमीन मिली है. उनके पास 1 जनवरी 1985 से पहले के दस्तावेज थे. लेकिन ज्यादातर लोगों के पास दस्तावेज नहीं हैं. 13 आवेदन अभी भी लंबित हैं, जिनके दस्तावेजों में कई त्रुटियां हैं. अंचल कार्यालय द्वारा सुधार का प्रयास किया जा रहा है, ताकि इन लोगों को भी लीज पर जमीन मिल सके.

सलामी और तिथि में संशोधन जरूरी है

सरकार की पट्टा बंदोबस्ती योजना फेल हो गयी है. क्योंकि सरकार बिना मालिकाना हक दिए जमीन लीज पर दे रही है. किराया भी ज्यादा है. गरीब झुग्गियों में रहते हैं। बाजार दर से अधिक कीमत होने पर जमीन की सलामी नहीं दे सकेंगे. अगर सरकार को जमीन देनी है तो न्यूनतम सलामी दर तय करनी चाहिए और कट-ऑफ डेट 1985 को संशोधित करना चाहिए.

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