भक्ति मार्ग में अहंकार छोड़ भगवान मिलते हैं : डॉ. अमृता करुणेश्वरी

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धनबाद: यदि आप अध्यात्म के मार्ग पर चलना चाहते हैं तो पहली शर्त यह है कि आपको अहंकार छोड़कर सरल बनना होगा। यदि आप अहंकार से भरे रहेंगे तो प्रभु के आने के लिए हृदय में कोई स्थान नहीं रहेगा। भगवान अहंकार रहित भक्ति को ही स्वीकार करते हैं। श्री राम कथा समिति एवं नारी सेवा संघ के तत्वावधान में शाहरपुरा शिव मंदिर सिंदरी में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा प्रवचन के तीसरे दिन कथा व्यास डॉ. अमृता करुणेश्वरी ने श्रोताओं को अहंकार छोड़ने का मूल मंत्र बताया. और भक्ति मार्ग में सच्ची सेवा करो। उन्होंने कहा कि अहंकारी व्यक्ति उस सूखे वृक्ष के समान होता है, जिस पर न फल लगते हैं, न फूल लगते हैं, उस पर पक्षी भी आकर नहीं बैठते हैं और तुच्छ जीवन व्यतीत करते हैं, इसलिए सरल, सहज रहो और ईश्वर और अपने सद्गुरु के प्रिय बनो। यदि भक्त भटक जाता है तो भगवान उसे सही रास्ता दिखाते हैं।

कथा व्यास डॉ. अमृता करुणेश्वरी ने बताया कि श्री राम और श्रीकृष्ण की भक्ति करने वाले महादेव भोलेनाथ हैं। वे भगवान की भक्ति देते हैं, इसलिए याज्ञवल्क्य मुनि ने भरद्वाज मुनि को श्री राम की कथा से पहले शिव की कथा सुनाई। साथ ही संक्षेप में माता पार्वती के चरित्र से महिलाओं को शिक्षा देने की प्रेरणा दी।

कथा व्यास डॉ. अमृता करुणेश्वरी ने बताया कि एक बार भगवान के परम प्रिय भक्त श्री नारद जी ने भी उन्हें एक बार श्राप दिया था। क्योंकि नारद जी मुग्ध हो गए थे, अभिमानी हो गए थे और भगवान ने नारद जी का अहंकार दूर कर दिया। दरअसल, नारद जी को अहंकार था कि उन्होंने काम और क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली है और इस अहंकार में वे स्वयं को भोलेनाथ से श्रेष्ठ मानते हैं। तब भगवान ने नारद जी का अहंकार दूर कर माया की ऐसी लीला दिखाई जिसमें भगवान के परम भक्त नारद जी ने श्री हरि विष्णु को श्राप दे दिया, जो भगवान के अवतार का एक और कारण बना। इसलिए हमें इस प्रसंग से यह सीख लेनी चाहिए कि अहंकार हमें किसी भी परिस्थिति में लाभ नहीं पहुंचाता क्योंकि भगवान अहंकार रहित भक्ति को ही स्वीकार करते हैं।

रामकथा के भक्ति रस में डूबे श्रद्धालु।

श्रीरामकथा के चौथे दिन बुधवार को माहौल आनंदमय हो गया। राम कथा प्रसंग का सानिध्य लेने के लिए हजारों की संख्या में श्रोता चौथे दिन यहां शामिल हुए। कहानी को आगे बढ़ाते हुए कथा व्यास डॉ. अमृता करुणेश्वरी ने कहा कि स्त्री का परिचय दोनों कुलों के धैर्य, समर्पण, स्नेह, स्नेह, शील, शौर्य, मर्यादा और सम्मान को बनाए रखने के लिए होता है। जीवन में सफल होने का यही मंत्र है। डॉ. अमृता करुणेश्वरी ने कहा कि रामचरितमानस का श्रवण करने और उसमें बताए गए मार्ग पर चलने से मनुष्य भवसागर से पार होने में अपना जीवन सफल बनाता है। उन्होंने कहा कि जब तक मनुष्य राम की कथा नहीं सुनता तब तक मोह नहीं भागता। जबकि राम कथा जीवन की हर शंका का समाधान करती है।

समिति की श्रद्धालुओं से अपील है कि आगे बढ़कर सहयोग करें

श्री राम कथा आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रशांत कुमार दुबे व नारी सेवा संघ की अध्यक्ष रंजना शर्मा ने अनुरोध किया कि श्रद्धालु आगे बढ़कर सहयोग करें ताकि कार्यक्रम में किसी प्रकार की आर्थिक परेशानी न हो. बताया गया कि जिन यजमानों या भक्तों का जन्मदिन या विवाह की वर्षगाँठ है, उन्हें अलग से आरती/पूजन में सम्मिलित करने की व्यवस्था की जायेगी। जिसके तहत आज मंच पर पूजा अर्चना कर बिनोद कुमार दुबे के बड़े बेटे अभिनव को जन्मदिन की बधाई दी गई.
आज की दैनिक मुख्य यजमान श्रीमती उषा तिवारी ने अंजनी तिवारी के साथ पूजा और आरती की। राम सुंदर दुबे की बहू सुमित्रा दुबे और बेटे बिनोद कुमार दुबे के साथ, अध्यक्ष क्लब सदस्य MDRT, मुख्य जीवन बीमा सलाहकार, भारतीय जीवन बीमा निगम धनबाद शाखा -2, उनके जन्मदिन पर सचिव CLIA के सबसे छोटे बेटे अभिनव लियाफी हजारीबाग प्रमंडल को समिति की ओर से जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दी गयीं.
आज की विशेष आरती में माहेश्वरी देवी की बहू रेखा सिंह के साथ पुत्र सूर्यकांत सिंह, अध्यक्ष क्लब सदस्य एमडीआरटी, भारतीय जीवन बीमा निगम धनबाद शाखा-2, अध्यक्ष लियाफी हजारीबाग मंडल व बीना सिंह सहित अजय सिंह व दीक्षा कुमारी जायसवाल सिंदरी से रविकांत शर्मा और बीआईटी स्वर्गीय मनोरंजन लाल की पत्नी सरोज देवी शामिल हुईं।

एवं संध्या आरती में मुख्य यजमान उषा देवी, अंजनी तिवारी, दैनिक यजमान प्रतिमा देवी, मुनीन्द्र कुमार, आरती, शुभम, बॉबी देवी, राजेश प्रसाद, बीना सिंह, अजय सिंह, दामोदर दुबे, श्री राम कथा समिति के अध्यक्ष प्रशांत दुबे, रानी दुबे रंजना शर्मा, नारी सेवा संघ की अध्यक्ष, पूर्व पार्षद दिनेश सिंह, सह कोषाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह, राम सुंदर दुबे, दामोदर दुबे, बृजेश सिंह, उमा शर्मा, अनीता श्रीवास्तव, अनीता देवी, सरस्वती देवी, सारदा सिंह, जूही शर्मा, इंदुबाला देवी, शैलेंद्र द्विवेदी, संपा सिल, पवन ओझा, आदित्य दुबे, राहुल सिंह, सूरज प्रसाद, शशि सिंह, राजेश प्रसाद, बॉबी देवी, नकुल सिंह, पूनम देवी, रीता, गुड़िया, सुनीता तिवारी सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

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