विशेष संवाददाता
रांची: राज्य के डॉक्टरों, नर्सों, चिकित्सा सेवा संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में बुधवार को झारखंड चिकित्सा सेवा संस्थान हिंसा एवं संपत्ति क्षति निवारण विधेयक 2023 का अनुमोदन किया गया. सोरेन। इस विधेयक को इसी विधानसभा सत्र से पारित कराकर कानूनी रूप दिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने इस विधेयक को कर्नाटक, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों के प्रावधानों के अनुसार तैयार किया है। इस विधेयक में चिकित्सा सेवा से संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ हिंसा या चिकित्सा सेवा संस्थानों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर स्पष्ट रूप से रोक लगाई गई है। इसके तहत चिकित्सा सेवा से संबंधित व्यक्तियों या किसी चिकित्सा सेवा संस्थान, अस्पताल आदि को नुकसान पहुंचाने वाले तथा चिकित्सा सेवा में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

दंडात्मक कार्रवाई के तौर पर अधिकतम दो साल तक की कैद और 50 हजार रुपए तक जुर्माना भी होगा। ऐसे मामलों की जांच डीएसपी स्तर से नीचे का कोई अधिकारी नहीं करेगा। अपराध का विचारण सक्षम स्तर के न्यायालय द्वारा किया जायेगा साथ ही दोषी व्यक्ति को निजी चिकित्सा सेवा संस्थान की संपत्ति को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के रूप में लागत की राशि का भुगतान करना होगा, जिसे निर्णय में स्पष्ट किया जायेगा।
वहीं सरकारी चिकित्सा संस्थान की संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई संबंधित उपायुक्त द्वारा गहन जांच के बाद लोक स्वीकृत वसूली अधिनियम के तहत की जाएगी। इसके साथ ही चिकित्सा एवं चिकित्सा सेवा संस्थानों को नैतिकता का पालन करने और रोगी के इलाज से संबंधित पूरी जानकारी का खुलासा करने का भी प्रावधान किया गया है। विधेयक में हर चिकित्सा संस्थान में सुरक्षा के पूरे इंतजाम करने होंगे. सीसीटीवी आदि लगाने होंगे। वहीं डॉक्टरों व अस्पतालों द्वारा मरीजों से दुर्व्यवहार या गलत इलाज की शिकायत मिलने पर इसकी जांच जिले के उपायुक्त एसडीओ स्तर से कराएंगे. दो स्वतंत्र गवाह भी रखने होंगे। 15 दिन में जांच कर रिपोर्ट देने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
दुर्घटना पीड़ितों को अस्पतालों में प्राथमिक उपचार देना होगा। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि बिना मेडिकल बिल भुगतान का इंतजार किए शवों को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया जाए। दावे के भुगतान हेतु चिकित्सक एवं चिकित्सा संस्थान द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। हर चिकित्सा संस्थान में सुरक्षा के पूरे इंतजाम करने होंगे। सीसीटीवी आदि लगाने होंगे।
वहीं डॉक्टरों व अस्पतालों द्वारा मरीजों से दुर्व्यवहार या गलत इलाज की शिकायत दर्ज होने की स्थिति में जिला उपायुक्त इसकी जांच एसडीओ स्तर पर कराएंगे. दो स्वतंत्र गवाह भी रखने होंगे। 15 दिन में जांच कर रिपोर्ट देने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। दुर्घटना पीड़ितों को अस्पतालों में प्राथमिक उपचार देना होगा। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि चिकित्सा बिल भुगतान की प्रतीक्षा किए बिना शवों को चिकित्सा के क्रम में मृत व्यक्तियों के परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया जाए। दावे के भुगतान हेतु चिकित्सक एवं चिकित्सा संस्थान द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। अगर डॉक्टर या अस्पताल इन प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं तो उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा. डॉक्टरों के मामले में संबंधित विभाग को कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी। सभी चिकित्सा सेवा संस्थानों का बुनियादी ढांचा भारतीय जन स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप होना चाहिए। सभी गाइडलाइन का पालन कराने के लिए एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त करना होगा। कैबिनेट ने रामगढ़ जिले के गोला में जैन विश्वविद्यालय के गठन को भी मंजूरी दी।
झारखण्ड राज्य की विधानसभा में जिला खनिज प्रतिष्ठान न्यासों के वर्ष 2016-17 के वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की स्वीकृति प्रदान की गयी। कैबिनेट में कई सड़क निर्माण योजनाओं को भी मंजूरी दी गई.
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