करंट की चपेट में आया चरवाहा, चली गई जानः अवैध शिकार से लाखों कमा रहे शिकारी, करंट लगाकर करते हैं शिकार

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चौपारणएक घंटे पहले

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करंट लगने से चरवाहे की मौत - दैनिक भास्कर

करंट लगने से चरवाहे की मौत हो गई

जंगल में जंगली जानवरों का शिकार रोकने के लिए बिजली का तार लगाया गया था। इस तार की चपेट में आने से एक चरवाहे की मौत हो गई। घटना हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड के डायहर पंचायत के मुड़िया व बेलगड़ा गांव की है. जंगल के बीच ललकी माटी में जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए जंगल में नग्न तार बिछाकर उसमें करंट लगाया जाता था. इसी दौरान दैहर पंचायत के मुड़िया गांव निवासी ईश्वर भुइयां 25 पिता भुनेश्वर भुइयां, अनिल भुइयां पिता यमुना भुइयां व तीन-चार लोग गाय व बछड़े चराने जंगल गए थे. जंगल में मवेशी चराने के दौरान उसे करंट लग गया।
एक की मौत, एक घायल, कई की जान बचाई
ईश्वर भुइयां की मौके पर ही मौत हो गई। अनिल भुइयां गंभीर रूप से घायल हो गए और दोनों अन्य चरवाहों की हालत देख वापस भागे और बेलगड़ा गांव पहुंचकर हंगामा किया. जिससे बेलगड़ा के ग्रामीणों ने बिजली काट दी. ग्रामीणों का कहना है कि बेलगड़ा के कुछ लोग जंगली जानवरों को मारने का धंधा करते हैं, ये लोग 11 हजार बिजली के खंभे के तारों को फंसाकर वन क्षेत्र में 500 मीटर नंगे तार का जाल बिछाकर शिकार कर रहे थे. करंट लगने से ईश्वर की मौत और अनिल के घायल होने के बाद ग्रामीणों ने चौपारण थाने को सूचना दी. घटना इटखोरी इलाके में होने के कारण थाना प्रभारी शंभूनंद ईश्वर ने इसकी सूचना इटखोरी थाना प्रभारी को दी. जिस पर इटखोरी थाने के एएसआई गौतम कुमार दास ने मौके पर पहुंचकर शव का पंचनामा बनाकर पोस्टमार्टम के लिए चतरा सदर अस्पताल भेज दिया.

जंगली जानवरों को ऊंचे दामों पर बेचा जाता है

घायल अनिल को इटखोरी अस्पताल भेजा गया। जहां से चिकित्सकों ने रेफर कर दिया। ईश्वर भुइयां अपने पीछे पत्नी निशु देवी और दो बच्चों को छोड़ गए हैं। बिजली विभाग बेलगड़ा से पत्थलगड्डा तक 11 हजार वोल्ट बिजली का तार अपने साथ ले गया। जंगली हिरण और सुअर समेत कई जानवर बिजली के झटके का शिकार हो जाते हैं। इसे ऊंचे दामों पर बेचने का धंधा चलता है। जानवरों को मारने और मांस और चमड़े को ऊंचे दामों पर बेचने का धंधा चल रहा है. मुडिया, पत्थलगड्डा, करगा, सहजना गांवों को बेलगड़ा मोड़ से सहजना मोड़ से जोड़ने वाली सड़क चतरा जिले और हजारीबाग जिले का सीमांकन करती है। ग्रामीणों ने कई बार बिजली विभाग और वन विभाग को अवगत कराया। सूचना पर गोपनीय तरीके से जांच की गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे ईश्वर भुइयां को अपनी जान गंवानी पड़ी।

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